नारियों का शक्ति के रूप में मानवाया जाता है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में नारियों का महत्वपूर्ण योगदान है। महिलाओं की भागीदारी कार्यबल में बढ़ी है। महिला उद्यमी भी काफी बढ़ी हैं। शाहजहांपुर में कई ऐसी महिलाएं हैं जो आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं। ज्योति सक्सेना ने अपना बिजनेस शुरू किया और अब दूसरों को रोजगार दे रही हैं।

ज्योति के पिता का 2019 में निधन हो गया था। ज्योति ने आत्मनिर्भरता के लिए कान्हा की पोशाकें तैयार करना शुरू किया। ज्योति ने लोन लेकर व्यापार बढ़ाया। रचना मोहन ने पेपर बैग का व्यापार शुरू किया। रचना ने भी प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ उठाया। रचना ने कई महिलाओं को रोजगार दिया। रेनू कश्यप ने भी खाने का ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण किया। रेनू के पति की मौत के बाद उन्होंने आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया।

मनीषा देवी ने स्वयं सहायता समूह बनाया और कई महिलाओं को रोजगार दिया। मनीषा ने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी का काम किया। मनीषा ने ग्रामीण आजीविका मिशन का समर्थन किया। अंजू वर्मा ने कचौड़ी बेचकर परिवार का पालन-पोषण किया। अंजू के पति की मौत के बाद वह कचौड़ी बनाने लगीं। अंजू ने अपने छोटे से काम से बच्चों को पढ़ाई करवाई। महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है। महिलाओं के योगदान को समझा जा रहा है। आत्मनिर्भरता से जुड़े कई सफल उदाहरण हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़ रहा है। महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता में बढ़ावा हो रहा है।