इज्या तिवारी का पहले ही प्रयास में सफलता मिला। उन्होंने अपने पिता के निधन के बाद कई समस्याओं का सामना किया। उन्होंने ब्राइट लाइन इंटर कालेज के अध्यापक से निशुल्क शिक्षा प्राप्त की। 12 साल की उम्र से ही उनका संघर्ष शुरू हुआ।

उन्होंने बैंक में नौकरी पाई, लेकिन पढ़ाई जारी रखी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में पहले ही प्रयास में सफलता मिली। उनकी कड़ी मेहनत और इरादे ने सफलता का मार्ग बनाया। उन्होंने मां को भी पढ़ाया और उनकी सहायता की।

ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान भी पढ़ाई जारी रखी। इज्या ने रात में भी पढ़ाई की, 9 से 2-3 बजे तक। उन्होंने ट्यूशन का सहारा नहीं लिया, ऑनलाइन साधनों का उपयोग किया। इज्या तिवारी लखनऊ से हैं और पहली महिला परिवहन विभाग के अधिकारी बनीं। उनके पिता की बीमारी के कारण संघर्ष हुआ।

वे अपने मां के साथ खड़ी रहीं और संभाली। इज्या ने छात्र-छात्राओं को संदेश दिया कि समय का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने ध्यान केंद्रित किया और कड़ी मेहनत की। उन्होंने सभी परिस्थितियों में हार नहीं मानी। इरादे और मेहनत से वह सफलता प्राप्त करीं।

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